23

Kapoor villa

Blueberry Bar,

Room number 402,

इस वक्त सौम्या धनिष्क से हद से ज्यादा गुस्सा थी। क्योंकि धनिष्क ने पूरी रात सौम्या पर अपना कहर बरसाया था। जिस वजह से सौम्या बहुत ज्यादा तकलीफ में थी। सौम्या बाथरूम से रेडी होकर बाहर की तरफ आई और दरवाजे की ओर बढ़ गई, पर जैसे ही उसने सामने का नजारा देखा, एक पल के लिए उसका दिल धक सा रह गया। उसकी आंखों में आंसू लबालब बहने लगे।

क्योंकि सामने धनिष्क अपने सीने पर अपने तीखे चाकू से सौम्या का नाम लिख रहा था। और धनिष्क के सीने से लबालब खून उसके पूरे पेट तक फैल रहा था। जिसे देखकर सौम्या का दिल तड़प उठा। वही धनिष्क को जैसे इस चीज़ से कोई फर्क ही नहीं पड़ रहा था। उसका पूरा ध्यान सौम्या के चेहरे के भाव देखने पर था।

और वही सौम्या अपनी जगह पर जमी हुई थी। उसकी सांसें जैसे हलक में ही अटक गई थीं। खून अंदर ही अंदर जैसे मानो जम गया हो। चेहरा सफेद पड़ चुका था और सांस गहरी होने लगी थी। कुछ बोलने की कोशिश कर रही थी, पर बोल नहीं पा रही थी। और अगले ही पल उसका सर तेजी से घूमने लगा, जिस वजह से उसे जोर से चक्कर आने लगे और देखते ही देखते सौम्या बेहोश हो गई।

सौम्या के बेहोश होते ही, इससे पहले कि वो नीचे गिरती, धनिष्क ने जल्दी से उसे अपनी बाहों में संभाल लिया। धनिष्क अब भी सौम्या को बिना किसी एक्सप्रेशन के देख रहा था। उसका चेहरा शांत तो लग रहा था, पर उसकी आंखें इस वक्त आग उगल रही थीं।

ऐसा लग रहा था जैसे उसके दिल में बहुत कुछ चल रहा हो। उसने कुछ देर सौम्या का चेहरा देखा और फिर उसके जबड़े कसने लगे। वह मन ही मन खुद से बोला –

“अपने भगवान को याद कर लो , मिस्टर अंशुमन पारेख… क्योंकि तुम्हें नहीं पता कि तुमने किस चीज़ पर हाथ डाला है। तुमने धनिष्क कपूर के दिल पर हाथ डालने की कोशिश की है… और अब वक्त आ गया है तुम्हें बताने का कि शेर आखिर शेर होता है। जितना मर्जी लाख कुत्ते भौंक लें, पर शेर कभी भी बदलते नहीं।”

“एक कुत्ते ने शेर को काटने की कोशिश की है… और अब बदले में उसे फाड़ना तो बनता ही है।”

इतना कहते हुए धनिष्क के चेहरे पर बेहद सर्द एक्सप्रेशन थे। धनिष्क ने अब सौम्या को अपनी गोद में उठाया और बाहर की ओर चल दिया। इस वक्त उसने अभी भी शर्ट नहीं पहनी थी। वह बाहर के बैक साइड डोर से बाहर की तरफ निकल गया और सामने ही उसकी गाड़ी उसका जैसे पहले ही इंतज़ार कर रही थी। मानो धनिष्क ने पहले ही किसी को बुला लिया था।

कुछ ही देर में,

उनकी गाड़ी एक बड़े से विला के आगे आकर रुकी। और अगले ही पल धनिष्क गाड़ी से बाहर निकला और सौम्या को अपनी गोद में लेकर खड़ा हो गया। उसने सिक्योरिटी गार्ड को कुछ इशारा किया, तो सिक्योरिटी गार्ड ने तुरंत सर हिला दिया और धनिष्क से चाबी लेकर गाड़ी की तरफ बढ़ गया। वही धनिष्क अब सौम्या को लेकर अंदर की तरफ आया।

अंदर आते ही हाल में एक बुजुर्ग औरत, जो हाथों से स्वेटर बुन रही थी, चश्मा लगाए सोफा पर बैठी थी। और साथ ही वहां पर एक लेडी थी जिसकी उम्र लगभग 45 साल की होगी। दिखने में बेहद खूबसूरत, पर उनके चेहरे पर मुस्कुराहट जैसे गायब ही थी। वो अपनी ही सोच में डूबी बैठी हुई थी।

अब तक सुबह के 6:00 बज चुके थे।

जैसे ही धनिष्क अंदर आया, उसकी नजर अपनी दादी फातिमा जी और मां सरस्वती पर पड़ी। उन्हें देखकर उसने बिल्कुल इग्नोर करते हुए लिफ्ट की तरफ कदम बढ़ा दिए।

तभी पीछे से सरस्वती जी बोलीं –

“धनिष्क बेटा, इतनी देर बाद आए हो… क्या मन से मिलोगे भी नहीं?”

वहीं, फातिमा जी की आंखों में भी इस वक्त आंसू थे। वो तो कुछ बोल ही नहीं पा रही थीं। सरस्वती जी अपनी जगह से उठीं और धनिष्क के पास आने लगीं। तभी धनिष्क ने उन्हें सर्द नजरों से देखते हुए कहा –

“मेरे करीब भी मत आना… समझीं? तुम मेरी मां नहीं हो। और रही बात अपना मन का धर्म निभाने की… तो अपने असली बेटे के पास जाओ। समझीं, सौतेली मां।”

धनिष्क के मुंह से अपने लिए “सौतेली मां” सुनकर सरस्वती जी को बेहद तकलीफ हुई। उनकी आंखें नम हो गईं। वहीं, फातिमा जी धनिष्क की तरफ देखकर बोलीं –

“धनिष्क बेटा, तुम कैसी बातें कर रहे हो? वो मन है तुम्हारी मां… कुछ गलतफहमियों के चलते तुम उसके साथ ऐसा बिहेव नहीं कर सकते बेटा।”

तभी फातिमा जी की नजर सौम्या पर पड़ी। सौम्या को देखकर एक पल के लिए उनकी पलकों की झपक बंद हो गई। क्योंकि सौम्या बेहद खूबसूरत थी। फातिमा जी ने धनिष्क से पूछा –

“बेटा, ये लड़की कौन है?”

वहीं, धनिष्क ने फातिमा जी की तरफ देखा और बिना किसी जवाब के लिफ्ट में चला गया। पर फातिमा जी को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ा। उनके लिए इतना ही काफी था कि धनिष्क कितनी ही देर बाद घर आया है।

वहीं दूसरी तरफ,

धनिष्क सौम्या को लेकर अपने फ्लोर तक आया, जो कि फोर्थ फ्लोर था। इस फ्लोर पर किसी को भी आने की इजाज़त नहीं थी। यहां तक कि नौकर भी यहां नहीं आते थे। क्योंकि यह फ्लोर सिर्फ धनिष्क का था। और इस पर साफ रिस्ट्रिक्शन थी कि कोई भी यहां अपना कदम नहीं रख सकता।

नीचे खड़ी फातिमा जी ने जब यह देखा तो उनकी आंखें हैरत से फैल गईं। क्योंकि धनिष्क सौम्या को अपने फ्लोर पर लेकर गया था। जबकि आज तक फातिमा जी भी उस फ्लोर पर कभी नहीं जा पाई थीं।

फातिमा जी ही क्या, घर के किसी भी सदस्य को धनिष्क ने अपने फ्लोर पर आने की इजाज़त नहीं दी थी। वहीं सरस्वती जी भी यह देखकर हैरान थीं। फातिमा जी और सरस्वती ने एक-दूसरे की ओर देखा और सरस्वती बोलीं –

“मां, कुछ बदलने वाला है…”

उनकी बात पर फातिमा जी मुस्कुराईं और बोलीं –

“अच्छी बात है सरस्वती। नहीं तो इतने साल से तो हमने उम्मीद ही छोड़ दी थी कि धनिष्क कभी इस घर में आएगा।”

वहीं दूसरी तरफ,

धनिष्क सौम्या को लेकर अपने रूम में आया। सौम्या अभी भी पूरी तरह बेहोश थी। उसे होश नहीं आया था। धनिष्क का रूम बेहद डार्क थीम का था — ब्राउन और ब्लैक। साथ ही वार्डरोब और अटैच बाथरूम था। पर वहां पर ये पहचानना मुश्किल था कि कौन सा डोर वॉशरूम का है और कौन सा वार्डरोब का, क्योंकि सब कुछ दीवारों में फिक्स था।

केंद्र में ही एक बड़ा सा बेड पड़ा था, जिस पर चार–पांच लोग आराम से सो सकते थे। साथ ही एक सोफा था और उसके सामने कॉफी टेबल। सोफे के साइड में ही एक बड़ी बालकनी थी जो बाहर की तरफ खुलती थी।

धनिष्क ने सौम्या को बेड पर लिटाया और खुद सिगरेट व लाइटर लेकर बालकनी की तरफ निकल गया।

धनिष्क अब बालकनी में आकर सिगरेट पीने लगा। इस वक्त उसकी पीठ बालकनी की रेलिंग से लगी हुई थी और उसका चेहरा अंदर की तरफ था। वो सिगरेट पीते हुए एकटक सौम्या को देख रहा था। सौम्या की तरफ देखते हुए उसने अपनी बेहद गहरी आवाज़ में कहा –

“बहुत कुछ होने वाला है… पर तुमने मेरी कमजोरी बनाकर गलती कर दी। तुम मेरा सुकून बनती जा रही हो… कहीं ऐसा न हो कि ये सुकून मुझ पर भारी पड़ना शुरू हो जाए।”

इतना कहते हुए धनिष्क के चेहरे पर बेहद ही सर्द एक्सप्रेशन थे। अगले ही पल उसने अपनी सिगरेट का एक गहरा कश भरा और धुआं ऊपर की तरफ छोड़ा। और देखते ही देखते उसने कई सारी सिगरेट वहीं खड़े-खड़े फूंक दीं।

पर जैसे उसके दिल को सुकून मिल ही नहीं रहा था।

तकरीबन आधे घंटे बाद, धनिष्क दोबारा अंदर आया और बाथरूम में शॉवर लेने लगा। शॉवर लेने के बाद उसने ट्रैवल टॉवल अपनी torso पर लपेटा और बाहर आ गया।

बाहर आते ही उसकी नजर बेड की तरफ गई… और धनिष्क की आंखें सर्द हो गईं।

क्योंकि सामने बेड पर अब सौम्या नहीं थी।

उसे देखकर धनिष्क के चेहरे पर गुस्सा झलकने लगा।

To be continued…

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