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Wild panishment

Blueberry bar

Room number 402,,

सौम्या की चीख इस वक्त जोर से उसे रूम में गूंजी थी क्योंकि धनिष्क ने जो दूसरा टूल एक वाइब्रेटर की तरह पड़ा हुआ था वो वार्निंग दिए बिना ही सौम्या की ASS में डाल दिया और अगले ही पल सौम्या की चख उसे कमरे में गूंज गई। सौम्या को हद से ज्यादा दर्द हो रहा था।

उसकी ASS से भी हल्की-हल्की ब्लीडिंग आ रही थी। सौम्या की तड़प भरी चीख सुनकर धनिष्क की नजरें सौम्या पर गहरी होने लगी थीं और अगले ही पल उसने दूसरा टूल सौम्या की वैजाइना में डाल दिया पर वैजाइना में उसे इतना दर्द नहीं हुआ, जितना कि ASS में हुआ था।

सौम्या रोते हुए बोली, "प्लीज़ धनिष्क, इसे बाहर निकालिए। प्लीज, प्लीज,प्लीज! मुझे दर्द हो रहा है। प्लीज कुछ कीजिए।"

धनिष्क सौम्या को गहरी नजरों से देखते हुए बोला, "तो चलो, ठीक है। मैं ऐसा करता हूं मैं फिर ऑस्ट्रेलिया चला जाता हूं बिकॉज तुम सजा तो ले नहीं सकती हो तो अब मुझे ऑस्ट्रेलिया जाना पड़ेगा तुम्हें छोड़कर...।"

धनिष्क की बात सुनकर सौम्या की सांसे उसके हलक में अटक गई क्योंकि अब उसे समझ में नहीं आ रहा था कि बोले तो बोले क्या। आगे कुआं था तो पीछे खाई थी पर चाहे कुछ भी हो जाए वो धनिष्क को अपनी जिंदगी से जाने नहीं दे सकती थी क्योंकि वो उसे बेइंतहा इश्क करती थी।

वो अपनी आंखों में अपने इश्क का जुनून लिए बोली, "हम आपकी हर सजा को हंसकर कबूल करेंगे।"

सौम्या की बात पर धनिष्क की नजर उस पर और भी ज्यादा गहरी हो गई और अब उसने सूटकेस में एक पतली सी छमक जैसी एक स्टिक निकाली जो कि बेहद पतली थी। उस स्टीक को देखकर सौम्या का दिल जोरों से धक-धक करने लगा। सौम्या को अपना गला सूखता हुआ महसूस हो रहा था।

वो स्टिक इतनी ज्यादा पतली और मजबूत थी कि अगर किसी पर भी पड़े तो उसके जिस्म पर लाशे खड़ी हो जाए। धनिष्क अब स्टिक को लेकर सौम्या के पास आया। वहीं सौम्या तो बस धनिष्क की ओर देखे जा रही थी। उसका दिल इस वक्त इतनी तेजी से धड़क रहा था मानो उसे ऐसा लग रहा था जैसे अभी उसके हलक से निकलकर बाहर आ जाएगा।

अब धनिष्क ने उस स्टिक को उसके पैर से हल्का-हल्का फिराते हुए ऊपर की तरफ ले जाने लगा और अगले ही पल उसने स्टिक सौम्या की पूसी पर हल्की सी मारी। अगले ही पल सौम्या ने ठंडी आह भरी क्योंकि वो स्टिक सौम्या को बहुत तेज लगी थी।

उससे सौम्या की पूसी पर पूरी एक लाल रंग की लकीर बन गई थी जिसमें से हल्का-हल्का ब्लड रिस रहा था पर फिर भी उसने अपनी मदहोशी भरी आंखों से धनिष्क देखा और धनिष्क भी उसे अपनी गहरी नजरों से देख रहा था।

अगले ही पल उसने उस स्टिक को pussy से ऊपर ले जाना शुरू किया और अब धनिष्क ने उस स्टिक को सौम्या के बूब्स पर ले जाकर रोक दिया। जैसे ही वो स्टिक सौम्या के बूब्स पर पड़ी, सौम्या की आंखें एक पल के लिए बंद हो गईं और उसकी सिसकी मुंह से निकल गई जिसे उसने अपने होठों को भींच कर रोक लिया।

वहीं धनिष्क अभी भी उसे अपनी गहरी नजरों से देखे जा रहा था। देखते ही देखते उस स्टिक को धनिष्क ने इसी तरह सौम्या के पूरे जिस्म पर बरसाया पर सौम्या के मुंह से आज तक नहीं निकली।

उसकी आंखों में नमी तो थी पर उसके होठों पर एक अलग ही सुकून भरी मुस्कान थी। वहीं धनिष्क ने अब उस स्टिक को बेड की साइड पर फेंका और और अपनी लोअर बॉडी के कपड़े भी उतार कर साइड में फेंक दिए।

अब धनिष्क भी सौम्या के सामने पूरी तरह से नेक्ड था। वहीं सौम्या तो बस अपनी मदहोशी भरी आंखों से धनिष्क को देखे जा रही थी।

अब उसने सौम्या के हाथों को खोला और अगले ही पल उसे पलट दिया जिससे वह पूरी तरह से उल्टी हो गई और अगले ही पल उसकी टांगों में इतनी जोर से दर्द उठा क्योंकि उसके पैरों में अभी भी वो स्टिक लगी हुई थी जिससे उसका पैर हल्का सा मुड़ गया था और शायद उसके पैर में चोट भी आ गई थी।

ये देखकर धनिष्क ने उस टूल को जल्दी से उतार कर साइड में फेंक दिया। अब वो अपना डिक अपने हाथों में पकड़ कर धीरे-धीरे मसलने लगा और मसलते हुए ही सौम्या के ऊपर आया।

जो टूल सौम्या की ASS में था उसे निकाल कर उसने साइड में फेंका और अपने डिक को हाथ में पकड़ कर ऐसे ही सौम्या की ass में पुश कर दिया और अगले ही पल सौम्या की दर्दनाक चीख उस कमरे में गूंज गई। अब सौम्या का रोना निकलने लगा।

वो रोते हुए बोली, "प्लीज़ धनिष्क जी इसे बाहर निकालिए वरना हम मर जाएंगे। इससे बहुत दर्द हो रहा है।

तभी धनिष्क अपनी सर्द आवाज में बोला, "तुम्हें अब ये दर्द बर्दाश्त करना होगा स्वीट मार्शमैलो क्योंकि तुम्हें भी पता चलना चाहिए कि मैं इतने दिनों से कौन से दर्द में था क्योंकि तुमने एक बार भी मुझे बताना जरूरी नहीं समझा कि तुम उस गंदे इंसान, अंशुमान पारेख से मिलोगी और मुझे पता नहीं चलेगा।

सोचो मुझे कितनी तकलीफ हुई होगी जब तुम उस गंदे लीचड़ इंसान के आसपास घूम रही थी और वो तुम्हें पर मेरे बारे में भड़का रहा था और तुम भड़क रही थी।

इतना कहकर वो हार्डली सौम्या की ass में अपने आप को मूव करने लगा और सौम्या की चीखें लगातार वहां पर गूंजने लगीं।

वो रोते हुए बोली, "प्लीज़ धनिष्क जी, इसे बाहर निकालिए। मुझे दर्द हो रहा है।"

तभी धनिष्क अपनी सर्द आवाज में बोला, "मुझे भी हुआ था और इससे ज्यादा हुआ था।"

इतना कह कर उसने सौम्या के अंदर हार्डली खुद को trust किया।

तकरीबन दो-तीन घंटे धनिष्क ने सौम्या को पूरी तरह से टॉर्चर किया था और वो भी दर्द से तड़पते हुए उसे कमरे में चीखती रही पर धनिष्क ने आज उस पर थोड़ा सा भी रहम नहीं किया।

तकरीबन 4 घंटे बाद,

सौम्या बेड पर औंधे मुंह लेटी हुई थी और इस वक्त उसकी आंखों से आंसू गिर रहे थें। वहीं धनिष्क उसके पास में लेटा हुआ था और गहरी नजरों से अभी भी सौम्या को देख रहा था। अगले ही पल धनिष्क अपनी जगह से उठा। वो अभी भी पूरी तरह से नेक्ड था।

धनिष्क ने अब अपना लोअर पहना और सौम्या की तरफ जाकर उसे अपनी गोद में उठाना चाहा पर सौम्या ने अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमा लिया। सौम्या के ऐसे चेहरा घुमाते ही धनिष्क के होठों के कोने मुड़ गए पर उसने अगले ही पल सौम्या की परवाह किए बिना ही उसे गोद में उठा लिया।

वहीं सौम्या रोते हुए बोली, "छोड़िए मुझे। मुझे दर्द हो रहा है, धनिष्क।"

वहीं धनिष्क ने अब उसे अपनी गहरी नजरों से देखते हुए कहा, "अभी सजा के नाम पर तुम्हें उसका आधा हिस्सा भी नहीं मिला और अभी से तुम तड़पने लगी। सोच लो, वैसे तो कहती रहती हो कि पूरी जिंदगी मेरे साथ बिताना चाहती हो और अभी से उठ गई हो मुझसे।"

धनिष्क की बात पर एक पल के लिए सौम्या की आंखों में नमी छा गई और वो भरे हुए गले से बोली, "ऐसी भी कोई सजा होती है। धनिष्क, हम तड़प रहे थे पर आपको हम पर तरस नहीं आया।"

धनिष्क ने कहा, "सोचो, अगर तुम यही बात अपने दिल में रखती, अगर मैं तुमसे शादी ना करता, अगर मुझे ये बात ना पता चलती तो! तो आज तुम मेरे साथ नहीं होती।"

उसकी बात पर एक पल के लिए सौम्या चुप हो गई और अगले ही पल रोते हुए बोली, "...पर ये कोई तरीका नहीं है किसी को सजा देने का। आप कुछ भी कर सकते थे पर ये दरिंदगी, ये कोई सजा है! हमें शेखावत पैलेस जाना है। हम थोड़ी देर के लिए आपसे दूर जाना चाहते हैं।"

धनिष्क ने सपाट लहजे में कहा, "नहीं जाने दूंगा।"

सौम्या ने कहा, "पर हम जाना चाहते हैं और आज हम आपके साथ यहां पर नहीं रुकेंगे क्योंकि ये हमारी लिमिट थी। जहां तक हम आपको प्यार करते हैं हमने किया पर ये कोई सजा देने का तरीका नहीं था, धनिष्क।"

वहीं धनिष्क अब अपने दांत पीसकर बोला, "Just shut up. जाना चाहती हो छोड़कर, ठीक है। जाओ, मैं तुम्हें नहीं रोकूंगा।"

उसकी बातों के पर एक पल के लिए सौम्या उसकी तरफ देखती रह गई पर अगले ही पल वो अपने आंसू पहुंच कर धनिष्क की गोद से उतरी और सीधे बाथरूम की तरफ चली गई।

कुछ ही देर में रेडी होकर वो बाहर आई और अपने कदम सीधे ही बाहर के दरवाजे की और बढ़ा दिए। उसने अपने कदम आगे बढ़ाए ही थे कि तभी उसका दिल धक्क सा रह गया।

To be continue.….….

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