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Dhaanishk ke irade

Blueberry bar,,

Room number 402,,

अभी-अभी धनिष्क ने सौम्या के सारे कपड़े उतार दिए थे और इस वक्त सौम्या नेकेड बेड पर लेटी हुई थी और अगले ही पल धनिष्क ने अपनी बेल्ट उतारकर सौम्या के हाथ बांधकर बेड रेस्ट से लगा दिए । जिसे देख सौम्या हैरान रह गई। वह हैरानी से अब धनिष्क की तरफ देखकर बोली, “ प्लीज , ऐसा मत कीजिए । ऐसे तो मैं आपको टच ही नहीं कर पाऊंगी। अगले ही पल धनिष्क ने उसकी ब्रेस्ट पर्स spank करते हुए बोला, “यही तो मैं चाहता हूं । आज तुम तड़पो…..

धनिष्क की बात पर सौम्या के होश उड़ गए । वो अपनी शिकायती नजरों से देखते हुए बोली, “ यह तो गलत बात है ना मिस्टर कपूर,उसके मुंह से मिस्टर कपूर सुनकर धनिष्क अपनी कोल्ड वॉइस में बोला, “don't call me Mr Kapoor……

धनिष्क की बात पर सौम्या अपना लोअर लिप अपने दांतों तले दबते हुए बोली, “ तो क्या कहूं मिस्टर कपूर? जैसे ही सौम्या ने दोबारा से धनिष्क को मिस्टर कपूर कहा_ “तो धनिष्क ने अपनी आंखें छोटी कर सौम्या को देखा और अगले ही पल उसने सौम्या की दूसरी ब्रेस्ट पर जोरों से spank किया। जिससे सौम्या की आह निकल गई। जैसे ही सौम्या के दूसरी ब्रेस्ट पर्स spank हुआ अगले ही पल धनिष्क ने दोनों ब्रेस्ट पर लगातार spank करना शुरू कर दिया।

जिससे सौम्या की सिसकियां उसे कमरे में गूंजने लगी। वह अब हार मानते हुए बोली, “मैं हार गई मिस्टर कपूर,,,,,ooops मेरा मतलब है धनिष्क में हार गई ….प्लीज प्लीज मत करो बहुत दर्द हो रहा है। वही धनिष्क का अब उसके गालों को अपने उंगलियो के बीच दबाते हुए बोला , “That's like a my girl,,, अब धनिष्क उसकी तरफ देखते हुए सामने सोफा पर जाकर बैठ गया और वहां पर ड्रिंक रखी हुई थी और उसे अपने होठों से लगाकर पीते हुए गहरी नजरों से सौम्या को देखने लगा। जिस तरह से धनिष्क सौम्या को देख रहा था। सौम्या के रोंगटे खड़े हो रहे थे। उसे कुछ-कुछ होने लगा था।

ना चाहते हुए भी वह धनिष्क से नजरे नहीं मिल पा रही थी। वही धनिष्क तो बस एक तक अपनी गहरी नजरों को सौम्या पर गड़ाए बैठा था। वह सौम्या के हर एक अंग को बड़े गौर से देख रहा था । उसके वह गोरे गोरे बूब्स और ऊपर से उसकी पिंक पिंक पूसी उसे पागल कर रही थी, पर उसने अपने चेहरे पर यह बात आने नहीं दी।

वही सौम्या जिस तरह से बंधी हुई थी। सौम्या को अपने हाथों में दर्द महसूस होने लगा था। ना चाहते हुए भी वह बार-बार धनिष्क की तरफ अपने हाथों को खोलने का इशारा कर रही थी । पर धनिष्क तो जैसे टस से मस नहीं हो रहा था। जब कुछ देर धनिष्क अपनी जगह से नहीं हिला तो सौम्या ने अपना ब्रह्मास्त्र चलाया। सौम्या जानबूझकर अपने सीने में सांस भर कर गहरी सांस छोड़ी। जिस वजह से उसके बूब्स और भी ज्यादा ऊपर की तरफ उठने लगे l जो की धनिष्क को और भी मदहोश कर रहे थे।

और धीरे-धीरे उसने अपनी टांगों को पूरी तरह से फैला लिया। जिस वजह से उसकी पूसी पूरी तरह से धनिष्क के सामने थी। धनिष्क को अपना गला सूखता हुआ महसूस हो रहा था , पर उसने अपनी अभी भी गहरी नजर सौम्या पर से नहीं हटाई। वो सौम्या की ट्रिक को बहुत अच्छे से समझ रहा था कि सौम्या ऐसा क्यों कर रही है? वहीं सौम्या के चेहरे पर अब इंटेन्स रिएक्शन आनी शुरू हो गए थे।

वह बेहद सेडक्टिव वॉइस में बोली," धनिष्क प्लीज कुछ कीजिए । मुझे कुछ कुछ हो रहा है।"

वही धनिष्क को उसकी बात सुनकर एक पल के लिए हंसी आई। क्योंकि सौम्या को धनिष्क को सेड्यूस करना भी ठीक से नहीं आ रहा था। उसकी बचकानी सी बात सुनकर एक पल के लिए धनिष्क के होठों के कोने मुड़ गए। वही सौम्या बेड पर अब धीरे-धीरे मचल रही थी । ताकि किसी तरह से धनिष्क को अपनी तरफ अट्रैक्ट कर सके।

काफी देर जब धनिष्क उसकी तरफ अट्रेक्ट नहीं हुआ तो हार मान कर सौम्या आराम से लेट गई। सौम्या को आराम से लेटे हुए देखकर धनिष्क समझ गया की । सौम्या अब हार मान चुकी है। ये देखकर धनिष्क का अब अपनी जगह से उठने ही वाला था कि तभी डोर नॉक हुआ।

और डोर नॉक होते ही धनिष्क के चेहरे पर दिलकश मुस्कराहट तैर गई । जिसे देखकर एक पल के लिए सौम्या उसकी और देखते ही रह गई, पर धनिष्क कि वह मुस्कुराहट नॉर्मल तो बिल्कुल नहीं थी। क्योंकि उसके दिमाग में बहुत कुछ शैतानी चल रहा था। अब यह तो धनिष्क ही जाने की उसके दिमाग में आखिर ऐसा चल क्या रहा था? अब धनिष्क ने अपने कदम दरवाजे की तरफ बढ़ा दिए । दरवाजा एक पतली सी मियानी से निकलता था। तो बेड काफी दूर था। इसलिए बेड पर नजर जाना बहुत मुश्किल था। उसे मियानी की वजह से बेड पूरी तरह से ढका था । जिस वजह से दरवाजे पर कोई भी खड़ा हो, वह बेड देख ही नहीं सकता था।

बेड पर लेटी सौम्या भी अब पूरी तरह से झटपट आ रही थी । वह मुंह बनाते हुए बोली, “ यह मेरा पति है। ये तो मुझे सजा देने पर तुला हुआ है। यार अगर सजा देनी है

थोड़ा बहुत सजा के तौर पर प्यार ही कर ले। वाइल्ड हो जाए, मेरे साथ इतना ही अगर सजा देने की पड़ी है । अरे यार, मुझे तड़पाए जा रहे हैं ऐसे जैसे मरी हुई लाश पड़ी हो।

वह खुद से बातें कर ही रही थी कि तभी धनिष्क अंदर की तरफ आया । अब उसके हाथ में एक छोटा सा सूटकेस था। और अब धनिष्क ने वह सूटकेस टेबल पर रखा और अगले ही पल उस सूटकेस को खोलने लगा। सूटकेस को खोलते ही उसमें कुछ टूल्स थे । जिन्हें देखकर सौम्या के चेहरे पर भी अब अजीब से एक्सप्रेशन आ गए। वह सवालिया नजरों से धनिष्क को देखने लगी। सौम्या के चेहरे पर सवालिया एक्सप्रेशन देखकर धनिष्क के चेहरे पर तिरछी मुस्कराहट तैर गई। वह अब सौम्या की तरफ देखकर बोला , “स्वीटमार्शमैलो , यह अपना जो छोटा सा खरबूजे के बीज जितना दिमाग है ना , वह मत दौड़ाओ । तुम्हें नहीं पता चलेगा कि यह क्या है?

धनिष्क की बात पर सौम्या ने अब अजीब सा मुंह बना बनाकर बोली, “ आप मेरा दिमाग को छोटा दिमाग वाली बोल रहे हैं ।

तभी धनिष्क,"हां जिस हिसाब से तुमने मुझ पर भरोसा नहीं किया। उसे हिसाब से तो तुम तुम्हारे पास तो मेरे हिसाब से दिमाग है ही नहीं।

वही सौम्या उसकी बात पर धनिष्क को छोटी आंखें घूरने लगी। तभी धनिष्क ने उसकी तरफ देखकर बोला, “आज जितनी मर्जी मुंह बना लो, पर आज तुम्हें मुझसे कोई नहीं बचा सकता है । आज तुम्हें ऐसी सजा मिलेगी कि तुम जिंदगी भर ऐसी गलती दोबारा नहीं दोहराओगी। वही सौम्या के चेहरे पर अब दोबारा से रंग उड़ गए । क्योंकि उसे इतना समझ आ गया था कि धनिष्क की जो भी करने वाला था। वह नॉर्मल तो बिल्कुल नहीं था।

धनिष्क ने अब सूटकेस से तीन टूल निकले और उन टूल्स को लेकर सौम्या के पास आया। और अगले ही पल उसने एक टूल लेकर सौम्या के पैरों के पास आया और उसे टूल में दो तरफ हथकड़ियां जैसा बना हुआ था और अगले ही पल उसमें छोटी सी एक स्टिक लगी हुई थी। दोनों तरफ हथकड़ियां थी और उसने वह दोनों हथकड़ियां सौम्या के पैरों में डाल दी और अगले ही पल जो छोटा सा डंडा उसमें लगा था उसे पूरा खोल दिया जिससे सौम्या की टांगे पूरी तरह से खुल गई और अगले ही पल सौम्या की जोरदार चीख उसे कमरे में गूंज गई।

सौम्या की आंख में हल्की सी नमी तैर गई । वह बोली, “ धनिष्क हमें दर्द हो रहा है । इसे निकालो यह क्या है? वही धनिष्क अपनी डोमिनेटिंग वॉइस में बोला, “ अभी तो तुम्हें दर्द सहने का टाइम है।”

अगर दर्द नहीं सहन तो मुझे छोड़ दो। मैं अभी इंडिया छोड़कर ऑस्ट्रेलिया चला जाता हूं । अगर तुम मुझे ऑस्ट्रेलिया जाते हुए नहीं देखना चाहती हो और अपने से दूर, तो आज तुम्हें दर्द सुना होगा। दोनों में से एक चीज choose कर लो। तुम क्या choose करना चाहती हो? वही धनिष्क की बात सुनकर सौम्या की आंखों में एक पल के लिए नामी आई। पर अगले ही पल वह अपनी सख्त आवाज में आपको जो सजा देनी है ।आप दे सकते हैं । पर मैं आपको कहीं भी जाने की इजाजत कभी नहीं दूंगी।

इतना कहते हुए सौम्या की आंखों में धनिष्क के इश्क का जुनून साफ दिखाई दे रहा था। सौम्या की आंखों में अपने प्यार के जुनून को देखकर धनिष्क की आंखों में मदहोश होना शुरू हो कर दिया था। अब दानिश ने जो सौम्या की टांगों को पूरी तरह खोल दिया था। अब धनिष्क ने दो टूल्स और लिए और उन एक टोल को सौम्या की पूसी के अंदर डाल दिया। जिससे सौम्या ने अपने होठों को जोर से अंदर की तरफ भींच लिया। वही धनिष्क उसके चेहरे की एक्सप्रेशन बड़े ध्यान से नोटिस कर रहा था। वह टूल एक हिसाब से वाइब्रेटर की तरह लग रहा था। पर वह वाइब्रेटर नहीं था। दूसरा टूल भी वैसा ही था और अब सौम्या के चेहरे पर सवालिया एक्सप्रेशन आ गए । आखिर धनिष्क इस टूल का क्या करने वाला था? सौम्या तो पहले ही दर्द से झटपट आ रही थी। क्योंकि उसकी पूसी में दर्द हो रहा था । जो टूल धनिष्क ने सौम्या के पैरों में लगाया था । जिसकी वजह से उसकी टांगें पूरी तरह से खुली हुई थी वो काफी दर्दनाक था।

और अगले ही पल धनिष्क ने जो किया। उससे सौम्या की सांस जैसे उसके गले में ही अटक गई हो और अगले ही पल जो

रदार चिख सौम्या कि उसे कमरे में गूंज गई।

To be continued …

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