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Feelings

Dehradun,,

Hotel Hyatt,,

परी अभी-अभी बाथरुम से निकली थी और वहीं अखिल सामने ही बैठा था और उसकी नजरे परी पर ही थी और उसने अभी-अभी परी से कुछ पूछा था । जिससे परी ने जो जवाब दिया था। उसे सुनकर अखिल के होश उड़ गए थे। परी ने अभी-अभी अखिल से कनाडा वापस जाने के लिए कहा था। और उसकी बात सुनकर अखिल के होश उड़ गए। अखिल अपनी जगह पर जम सा गया था। वो अपनी लड़खड़ाती हुई आवाज से,,,, कनाडा.......

वही परी उसकी तरफ देकर एक्सप्रेशन लैस होकर बस__""hmmm""

इतना कहकर परी अब वार्डरोब की तरफ चली गई और कुछ कपड़े अभी भी परी के अनपैक्ड थे। उनमें से कुछ कपड़े लिए और पहन कर बाहर की तरफ आ गई। अब परी बाहर को जाने को हुई , पर कुछ देर रुकी और बिना अखिल की तरफ पलटे बोली, “अपना बचा कुचा सामान पैक कर लो। निकालना है यहां से…इतना कहकर परी बाहर की तरफ चली गई।

वहीं अखिल अभी भी अपनी जगह पर जमा हुआ था। कनाडा का नाम सुनकर उसका दिल जैसे अंदर से टूट रहा था। पता नहीं क्यों पर उसका दिल कनाडा जाने के लिए मान नहीं रहा था? उसकी आंखों में हल्का-हल्का पानी आने लगा और उसकी आंखों के सामने अपनी मां बाबा का चेहरा घूमने लगा, पर अगले ही पल जब उसे अपने बाबा की हुई हरकत याद आई। तो उसने अपना सिर झटक और वार्डरोब की तरफ बढ़ गया और अपने दिल पर पत्थर रखकर अपने बचे कुछ सामान को पैक करने लगा। सामान पैक करते समय भी उसके हाथ बुरी तरह से कांप रहे थे, पर फिर भी जैसे तैसे उसने अपना सामान पैक किया और बाहर की तरफ आकर एक बार फिर से सोफा पर बैठ गया और अपना सर पीछे टिककर आंखें बंद कर कर लेट गया।

वहीं दूसरी तरफ,,

परी इस टाइम गार्डन में वॉक कर रही थी और उसका चेहरा इस वक्त बेहद ही एक्सप्रेशन लैस था । जैसा कि जब पहली बार परी अजबपुर आई थी । तब उसका चेहरा का ऐसे एक्सप्रेशंस हुआ करता था, पर जब से अखिल उसे मिला था। उसके चेहरे पर भाव अब आने जाने लगे थे , पर पता नहीं क्यों आज वही भाव वापस लौट आए थे? जो की धीरे-धीरे पीछे छूटने लगे थे।

परी बेहद गहरी सोच में डूबी हुई थी । उसकी आंखों को देखकर कोई नहीं पहचान सकता था कि उसके दिमाग में क्या चल रहा है ? और जो भी उसके दिमाग में चल रहा था वो बहुत गहरा था ।शायद यह चीज अखिल को भी अब बुरी लगने वाली थी। परी के चेहरे पर भाव ऐसे थे। मानो जैसे अंदर ही अंदर कोई फैसला ले रही हो। कुछ देर में सभी बैग्स गाड़ी में रखवाए गए और वहीं अखिल अभी भी सोफे पर बैठा था।

अखिल की आंखों से पानी अब उसके गालों पर आ चुका था। भले ही उसकी आंखें बंद थी ,पर उसे वह अपनी आंखों को बहने से नहीं रोक पा रहा था।

कुछ देर बाद ,,

परी दोबारा रूम में आई,,

और जैसे ही उसकी नजर अखिल पर पड़ी। तो उसके हाथों की मुठिया कस गई । उसने अखिल के आंसू जो कि उसके गाल पर थे । वो देख लिए थे, जिस वजह से उसकी हाथों की मुट्ठियां कस गई थी। उसके जबड़े कस गए थे। वह अब अखिल के पास आकर एक्सप्रेशन लैस होकर बोली___क्या चाहते हो तुम?

वही अखिल जिसने अपनी आंखें बंद कर रखी थी। उसने अब अपनी आंखें खोली और सामने परी को देखा तो वो अपनी जगह से उठकर बोला, “ मैं कहां कुछ कर सकता हूं ? मेरी तो कोई मर्जी हो ही नहीं सकती है । मैं तो हूं ही एक खिलौना जिसे जो चाहे जैसे चाहे इस्तेमाल कर सकता है। करो तुम भी करो, मेरे मां-बाप ने किया। अब तुम भी का लो । उन्होंने तो मुझे भेज दिया तुम्हारे लिए और अब बची - कुची कसर तुम भी पूरी कर लो।

उसकी बात पर परी की आंखें सर्द हो गई और अगले ही पल उसने अखिल को धक्का देकर दोबारा से सोफे पर गिरा दिया और अगले ही पल उस पर झुकी और उसकी आंखों में देखते हुए बोली, “ क्या चाहते हो आजाद होना चाहते हो......???

परी इतना कहकर कुछ देर रुकी। वहीं अखिल तो बस उसकी आंखों में ही देखे जा रहा था । आखिर परी कहना क्या चाहती है? परी अब अपनी बात आगे बढ़ते हुए बोली,"जाओ , किया तुम्हें आजाद तुम अपनी जिंदगी खुद जी सकते हो । तुम्हें मेरे इशारों पर चलने की कोई जरूरत नहीं है । आज से तुम मेरे गुलाम नहीं हो।

इतना कहकर परी सीधी खड़ी हुई और दरवाजे की तरफ बढ़ गई। वहीं अखिल आंखें हैरानी से फैल गई। वो तो परी के किए फैसले पर ही उसे हैरत से देख रहा था। कि आखिर परी को हुआ क्या जो इतनी आसानी से परी नहीं उसे छोड़ दिया? वही परी के दादा दादी बाहर खड़े थे। जब उन्होंने यह बात सुनी उनका दिल भी ढक सा रह गया । क्योंकि उन्होंने बहुत मुश्किल से परी को….इतने सालों के बाद थोड़ा बहुत जीते देखा था, लेकिन वह भी अखिल के कारण,, वही परी को देखकर अब वह जल्दी से अपने रूम की तरफ चले गए।

वही परी जिसकी आंखें इतनी सर्दी थी। अब उसकी आंखें गहरी लाल हो गई थी । आज पहली बार उसकी आंखों में ऐसा लग रहा था कि जैसे गहरा समुद्र उमड़ रहा हो, पर उसने अपनी आंखों को नम होने नहीं दिया। उसकी आंखें हद से ज्यादा लाल हो चुकी थी। परी तेज कदमों से बाहर की तरफ आई और गाड़ी मे बैठकर ड्राइवर को इशारा किया और वहां से निकल गई।

वही रूम में अखिल अभी भी जमा पड़ा था । उसे तो समझ ही नहीं आ रहा था कि आखिर हुआ क्या? वह हैरानी से बस परी को ही जाते हुए देखा रहा पर उसने एक बार भी परी को नहीं रोका।

वहीं दूसरी तरफ,,,

परी अपनी कार में सिर टिक कर बैठी हुई थी । और उसकी आंखों के सामने सिर्फ अखिल का चेहरा घूम रहा था। उसकी आंखों के सामने अखिल की मुस्कुराती हुई, आंखें मुस्कुराता हुआ चेहरा, हर बढ़ते पल के साथ एक एक पल जैसे पीछे छूट रहा था। परी के दिल में आज एक अलग सी तड़प थी। जो शायद वह खुद नहीं पहचान पा रही थी । उसकी आंखों का दर्द उसकी चेहरे पर अब साफ दिखाई देने लगा था । जोकि उसका चेहरा कुछ देर पहले बिल्कुल ही एक्सप्रेशन लैस था।

परी ने अब पार्टीशन ऑन किया और उसकी आंखों में अब नमी उतर आई। बढ़ते पल के साथ उसे अखिल की याद आने लगी थी । वह नहीं जानती थी कि उसे ऐसा क्यों हो रहा था ? पर आज पहली बार था कि किसी से उसे फर्क पड़ रहा था।

उसने अपनी नमी को अपने गालों पर आने की इजाजत नहीं दी। वो खुद से बोली ,“ मैं कमजोर नहीं पड़ सकती मैं....

इतना कहकर वह चुप हो गई। कुछ ही देर में,,

उसकी गाड़ी एक बड़े से एयरपोर्ट के सामने आकर रुकी और अगले ही पल उसने आंखों पर अपने शेड्स चढ़ाई । क्योंकि उसकी आंखें हद से ज्यादा लाल थी और कहीं ना कहीं उनमें नमी उतर आई थी। आज पहली बार परी के पर जैसे आगे बढ़ने से इनकार कर रहे थे । बढ़ते पल के साथ उसके पैर भी उसका साथ छोड़ रहे थे।

पर फिर भी किसी तरह निडर होकर वह अपने पैरों को आगे बढ़ते जा रही थी। जैसे ही वह जेट की तरफ बढ़ने लगी। एक पल के लिए उसके कदम रुक गए।

उसे अपने दिल में कुछ टूटा हुआ जैसे महसूस हो रहा था और वह खुद नहीं जानती थी कि आखिर उसके साथ हो क्या रहा है? पर अगले ही पल उसने अपने आप को झटका और सीधे जेट में चढ़ गई।

जैसे

ही वह अपनी जगह पर जाकर बैठी ।उसकी आंखें हैरत से फैल गई।

To be continued.......

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