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Tadap somya ki

Blueberry bar,

Room number 402,

धनिष्क ने सौम्या को दीवार से सटा रखा था और उसके ऊपर झुका हुआ था। दोनों की सांसें आपस में टकरा रही थीं।

वहीं सौम्या के सीने में उठ रहे तूफान के कारण उसका सीना धनिष्क के सीने से टकरा रहा था। जहां सौम्या अभी तक सदमे में थी कि क्या सच में धनिष्क को वो सब पता था जो सोचकर वो मन ही मन टूट रही थी।

वहीं धनिष्क एक बार फिर दांत पीसकर बोला, "क्या अभी भी तुम मुझसे सच्चाई छुपाओगी?"

धनिष्क की बात पर अब सौम्या की आंखों के आंसू उसके गालों पर लुढ़क आए। वो रोते हुए बोली, "...तो मैं क्या करती आपकी जान को खतरा हो सकता है।"

सौम्या की बात पर धनिष्क उसकी आंखों में देखते हुए कहता है, "क्या तुम्हें मुझ पर भरोसा नहीं था? किसी तीसरे ने आकर तुमसे कुछ भी कहा और तुम मान जाओगी! लगता है मेरे प्यार में ही कहीं कमी थी।"

जैसे ही धनिष्क ने ये बात कही, सौम्या का दिल तड़प उठा। वो अपनी तड़प भरी आवाज में बोली, "ऐसा मत कहिए। हमसे गलती हो गई। हमें माफ कर दीजिए।"

तभी धनिष्क अपनी सर्द आवाज में बोला, "नहीं सौम्या शेखावत, अब तुम्हें ये समझना बहुत जरूरी है कि कोई भी ऐरा गैरा आकर तुम्हें कुछ भी कहेगा तो तुम उसकी बातों में नहीं आ सकती, और अब यहां पर मुझे ये रिश्ता मंजूर नहीं। तुम्हें मुझसे तलाक चाहिए था ना! तुम मुझे छोड़ना चाहती थी ना! जाओ, मैंने तुम्हें छोड़ दिया..."

धनिष्क की बात पर सौम्या का दिल धक्का सा रह गया और वो अपनी जगह पर खड़ी-खड़ी जम गई।

वहीं धनिष्क अपनी बात कहकर वहां से जाने लगा पर तभी सौम्या होश में आई और अगले ही पल उसने पीछे से धनिष्क को अपनी बाहों में समेट लिया। जैसे ही सौम्या ने अपनी बाहें धनिष्क पर कसी, एक पल के लिए धनिष्क ने अपनी आंखें कसकर बंद कर ली।

वहीं सौम्या फूट-फूट कर रोते हुए बोली, "प्लीज धनिष्क, हमें माफ कर दीजिए हमें। उस वक्त हम कुछ सोचने समझने की हालत में नहीं थे। हम डर गए थे।

हमें लगा कि हम आपको खो देंगे। प्लीज हमें माफ कर दीजिए। हम आपके आगे हाथ जोड़ते हैं। हम आपके बिना नहीं जी पाएंगे। धनिष्क, प्लीज प्लीज! हमें माफ कर दो।"

उसकी तड़प उसकी आवाज में धनिष्क को साफ महसूस हो रही थी।

वहीं धनिष्क सौम्या की बाहें खुद पर से हटाने की कोशिश करने लगा लेकिन सौम्या तो उसे छोड़ ही नहीं रही थी पर किसी तरह से धनिष्क ने उसकी बाहों को अपने ऊपर से हटाया और उसकी आंखों में देखते हुए बोला, " तुम्हें मुझ पर विश्वास नहीं था। अगर होता तो तुम मुझे सब कुछ बताती और अब इन सब का कोई फायदा नहीं। भूल जाओ मुझे कि मैं कभी तुम्हारी जिंदगी में आया था।"

धनिष्क की बात सुनकर सौम्या का दिल जैसे धड़कना ही भूल गया। वो तड़पते हुए रोते हुए बोली, " मैं आपके आगे हाथ जोड़ती हूं धनिष्क, प्लीज मुझे माफ कर दीजिए। एक मौका दे दीजिए मुझे, सिर्फ एक आखरी मौका!"

धनिष्क ने तेज आवाज में कहा, "कैसा मौका सौम्या शेखावत?"

धनिष्क की बात सुनकर सौम्या चीख कर बोली, सीमेरा नाम सौम्या कपूर है ना की सौम्या शेखावत!"

सौम्या की बात पर धनिष्क का चेहरा एक पल के लिए एक्सप्रेशन लेस हो गया। वो बोला, "अब हमारा डिवोर्स होने वाला है तो इस नाते तुम सौम्या शेखावत हो ना की सौम्या कपूर..."

फिर वो कुछ देर रुक कर बोला, "सौम्या कपूर तुम थी अब नहीं हो।"

वहीं सौम्या रोते हुए धनिष्क का कॉलर पकड़ कर उसे झकझोरते हुए बोली, "बस कीजिए धनिष्क, बस कीजिए। मैं नहीं जी पाऊंगी आपके बिना। क्यों नहीं समझ रहे हैं आप? गलती हो गई मुझसे। माफ कर दीजिए ना मुझे। उस इंसान ने मेरा ब्रेनवाश कर दिया था।

उसने कहा अगर मैं आपके आसपास भी रही तो वो आपकी जान ले लेगा। उसके आदमी हर वक्त आपके आसपास रहते हैं। वो मुझे कल एक बार में बुला रहा था। मुझे तो उस बार का नाम तक याद नहीं।"

इतना कहते हुए वह फूट-फूट कर रोने लगी।

वहीं धनिष्क के चेहरे से साफ पता चल रहा था कि उसे सौम्या की बात से अब कुछ खास फर्क नहीं पड़ रहा था। उसका चेहरा एकदम एक्सप्रेशन लैस था।

अब धनिष्क एक गहरी सांस लेकर बोला, "अब मैं जाऊं यहां से, मिस सौम्या शेखावत?"

अब सौम्या को धनिष्क की बात पर गुस्सा आने लगा, "वो गुस्से में धनिष्क को धक्का देते हुए बोली, "समझते क्या हैं आप खुद को? मैंने कहा ना मेरा नाम सौम्या कपूर है, ना कि शेखावत।"

इसके साथ वो रोए जा रही थी जिस वजह से उसकी नाक पूरी तरह से लाल हो गई थी। वहीं धनिष्क की नजर उसकी लाल नाक पर थी जिसे देखकर उसे कुछ-कुछ हो रहा था।

उसने आज खुद को पूरी तरह से कंट्रोल करके रखा हुआ था। जैसे-जैसे सौम्या धनिष्क को धक्का दे रही थी धनिष्क पीछे की तरफ खिसक रहा था। वैसे तो धनिष्क में बहुत जान थी पर सौम्या के लिए वो पीछे की तरफ खिसक रहा था।

वहीं सौम्या रोते हुए अपनी आंखों को साफ किये जा रही थी और साथ में धनिष्क को धक्का दिए जा रही थी और गुस्से में उसकी तरफ देखकर एक ही बात बड़बड़ाए जा रही थी, "आप समझते क्या हैं खुद को? आपको नहीं पता कि मैं आपके बिना नहीं रह सकती? नहीं जीना मुझे आपके बिना और नहीं चाहिए मुझे ऐसी जिंदगी जिसमें आप ना हों।"

इतना कहते हुए सौम्या उसे धकेलते हुए बेड तक ले आई और अगले ही पल उसने जोरदार धक्का दिया जिससे धनिष्क बेड पर जा गिरा।

सौम्या अब उसके ऊपर जाकर उसकी torso के आसपास टांगे रखकर उसके ऊपर बैठ गई। सौम्या इस वक्त धनिष्क के मेन पॉइंट पर बैठी थी, ये शायद सौम्या को भी बात नहीं पता थी। वहीं धनिष्क की आंखें अब सौम्या पर और गहरी हो गई थीं।

धनिष्क अपनी सर्द आवाज में बोला, "मेरे ऊपर से हटो। मुझे एक बुजदिल लड़की के साथ नहीं रहना जो इतनी डरपोक हो।"

उसकी बात पर सौम्या अब चिढ़ते हुए बोली, "ठीक है। हम हैं बेवकूफ, सब कुछ हैं। जो आप कहेंगे हम वही मानने के लिए तैयार हैं पर प्लीज हमें छोड़कर मत जाइए। हम आपके बिना नहीं जी सकते, धनिष्क।"

धनिष्क ने कहा, "और मुझे तुम्हारे साथ नहीं जीना। पीछे हटो मेरे ऊपर से।"

धनिष्क की बात पर एक पल के लिए सौम्या को ऐसा लगा जैसे किसी ने उसके कलेजे से को बाहर निकाल लिया हो।

वो रोते हुए बोली, "आप मेरे साथ ऐसा नहीं कर सकते, धनिष्क। मैं अपनी जान ले लूंगी।"

धनिष्क अपनी सर्द आवाज में बोला, "...तो ले लो। तुम जैसी कमजोर लड़कियों और कर भी क्या सकती हैं!"

इतना कहकर धनिष्क ने सौम्या को अपने ऊपर से धक्का दिया और सौम्या बेड पर आ गई। धनिष्क अपनी जगह से उठकर फिर से वहां से आगे बढ़ने ही वाला था कि सौम्या ने उसका हाथ पकड़ कर एक बार फिर उसे बेड पर गिरा लिया।

इस बार धनिष्क सर्द आवाज में बोला, "मैंने कहा दूर रहो मुझसे। तुम एक माफिया की वाइफ बनने के लायक नहीं हो।"

"क्या चाहते हैं आप?" सौम्या भी रोते हुए बोली।

वहीं अब धनिष्क की मुट्ठियां कसने लगी थीं क्योंकि कहीं ना कहीं सौम्या के आंसू उसे अंदर तक तोड़ रहे थे पर वो खुद को मजबूत करना चाहता था क्योंकि आज सौम्या को बताना जरूरी था कि एक भरोसा बहुत ज्यादा जरूरी होता है।

वो अपनी गहरी आवाज में बोला, "मैं तुमसे दूर जाना चाहता हूं। इतनी दूर कि मेरा साया भी तुम पर ना पड़े।"

धनिष्क की बात पर सौम्या का दिल धक्क सा रह गया। आंखों में आंसू जैसे थम से गए थे। एक पल के लिए उसकी आंखें बिल्कुल बेजान हो गई थीं पर अगले ही पल उसने अपने आंसू रोके और बोली, "चले जाइएगा। बस एक बार मुझे खुद को प्यार करने दीजिए।"

उसकी बात पर धनिष्क एक पल के लिए चुप हो गया और अगले ही पल बोला, "क्यों करने दूं खुद से तुम्हें प्यार? जब तुम्हें मुझ पर विश्वास ही नहीं है तो कैसा प्यार कैसा इश्क?"

वो दांत पीसकर बोला, "क्या कहा था तुमने? मुझसे इश्क करती हो अरे इश्क का मतलब भी जानती हो? इश्क में इंसान फना हो जाता है पर उसे अपने इश्क पर खुद से भी ज्यादा भरोसा होता है और तुमने, तुमने तो उस इश्क पर एक बार भी भरोसा करके नहीं देखा।"

उसकी बात पर सौम्या तड़प कर बोली, "मुझे माफ कर दीजिए, धनिष्क। आप जैसा कहेंगे मैं वैसा करुंगी। प्लीज मुझे छोड़ कर मत जाइए। आप कहेंगे तो मैं स्ट्रांग बन जाऊंगी। जैसा आप कहें। आप मुझे ट्रेनिंग दीजिएगा।"

सौम्या की बात पर अव धनिष्क उसे कुछ नहीं बोला। अगले ही पल उसने सौम्या को बेड पर धकेला और उसके गले को चूमने लगा और धीरे-धीरे उसके गले को चुमते हुए उसके चेहरे को देखते हुए बोला, "नहीं जाऊंगा तुम्हें छोड़कर।"

धनिष्क की बात सुनकर एक पल के लिए जैसे सौम्या के तड़पते हुए दिल को सुकून मिल गया।

वो रोते हुए धनिष्क के गले लग गई और बोली, "हमें माफ कर दीजिए। आज के बाद हम ऐसी गलती दोबारा नहीं करेंगे।"

वहीं धनिष्क अपनी सर्द आवाज में बोला, "मैं तुम्हें इतनी जल्दी माफ नहीं करूंगा, पर तुम्हें छोड़कर भी नहीं जाऊंगा। जो बेवकूफी तुमने की है वो बेवकूफी मैं नहीं करने वाला और उसकी सजा आज रात में मिलेगी ही मिलेगी और आज पूरी रात तुम्हारी सजा की रात है।"

धनिष्क की बात पर सौम्या के चेहरे पर सुकून भरी मुस्कान आ गई।

वो अपनी आंखों में धनिष्क के लिए तड़प लिये हुए बोली, "हमें आपकी हर सजा मंजूर है। आप जो सजा देंगे हमें वह मंजूर है।"

तभी धनिष्क उसकी आंखों में देखते हुए बोला, "तो पछताने के लिए तैयार हो जाओ।"

इतना कह कर धनिष्क ने एक झटके से उसकी बॉडी से साड़ी अलग कर दी, और अगले ही पल उसका ब्लाउज भी फाड़ दिया।

To be continue......

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