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City hospital,
ICU ward,
इस वक्त दिव्यांश का ऑपरेशन चल रहा था। और वही बाहर AS और काजल चक्कर लगा रहे थे। उन दोनों के चेहरे पर काफी ज्यादा परेशानी झलक रही थी। वहीं दूसरे वार्ड में अन्य बेहोश पड़ी थी। जब दिव्यांश को उसने उसकी वजह से चाकू लगा था तो वह हद से ज्यादा पैनिक करने लगी थी और ऊपर से बेहोश हो गई थी, तो डॉक्टर ने उसे वार्ड चेंज करके लेटा दिया था। और उन्होंने जल्दी से दिव्यांश को भी आईसीयू वार्ड में शिफ्ट कर दिया था क्योंकि दिव्यांश को बहुत गहरा जख्म लगा था। चाकू पेट के अंदर तक घुस गया था।
दिव्यांश का जख्म काफी गहरा था, जिस वजह से खून का बहाव काफी ज्यादा तेज था। इसीलिए डॉक्टर ने फटाफट एडमिट करके सीधा ऑपरेशन शुरू कर दिया था। कहीं ना कहीं वहां के डॉक्टर शेखावत परिवार को जानते थे, जिस वजह से उन्होंने जल्दी से दिव्यांश को अस्पताल में एडमिट करके उसका ऑपरेशन करना स्टार्ट कर दिया था और AS को भी फोन डॉक्टर ने ही किया था।
दिव्यांश की सर्जरी चलते हुए कम से कम एक घंटा हो चुका था, पर अभी भी उसकी सर्जरी चल रही थी। तकरीबन ऐसे ही 2 घंटे और बीत गए, और अब डॉक्टर बाहर की तरफ आए। बाहर आते ही डॉक्टर ने AS की तरफ देखकर कहा— “Don’t worry Mr. Shekhawat, he is alright now. वैसे काफी ब्लड लॉस हुआ है, जिस वजह से उनको कमजोरी होगी, बट जल्दी ठीक हो जाएंगे।” उसकी बात पर AS और काजल ने अब जाकर राहत की सांस ली, पर काजल के चेहरे पर अभी परेशानी झलक रही थी।
क्योंकि अब उसे अन्य की फिक्र हो रही थी। अन्य का मिसकैरेज हो गया था, जिस वजह से काजल और भी ज्यादा परेशान हो रही थी। उसे उस वक्त से डर लग रहा था जिस वक्त सौम्या को होश आने वाला था और अब सौम्या को संभालना बहुत मुश्किल होने वाला था। वही AS भी उसकी सारी परेशानी समझ रहा था। दोनों के चेहरे पर अब परेशानी झलक रहे थी। देखते ही देखते शाम हो गई, ना सौम्या को होश आया और ना ही दिव्यांश को।
रात के 11:00 बजे,
काजल अस्पताल की 3-सीटर चेयर पर बैठी थी। और अब उसे हद से ज्यादा थकान हो रही थी। वही AS भी अब यह बात भांप सकता था कि काजल बहुत ज्यादा थक गई है, इसी लिए उसने काजल को रेस्ट रूम में जाकर रेस्ट करने के लिए कहा, पर काजल नहीं मानी। ऐसे ही तकरीबन आधा घंटा और बीत गया। वही दिव्यांश को अब हल्का-हल्का होश आना शुरू हो गया था। उसने अब अपनी आंखें खोली और अगले ही पल उसके सामने अनन्या का चेहरा घूम गया।
और अगले ही पल उसने अपना ड्रिप अपने हाथों से निकाला और बिस्तर से उठकर खड़ा हो गया। जैसे ही दिव्यांश बिस्तर से उठकर खड़ा हुआ, उसे अपने पेट में जोरों का दर्द हुआ क्योंकि उसके पेट में काफी गहरा घाव था, जिस पर अब स्टिचस लगे हुए थे, पर उसने अपने घाव की परवाह किए बिना उठा और बाहर की तरफ आ गया। वही जैसे ही काजल और AS ने दिव्यांश को देखा, उन दोनों के होश उड़ गए क्योंकि दिव्यांश की हालत बहुत ज्यादा खराब थी।
और ऐसे दिव्यांश का उठना बिल्कुल भी ठीक नहीं था। AS, दिव्यांश की तरफ आया और उसे कंधों से पकड़ते हुए बोला— “तुम्हें ऐसे उठने की क्या जरूरत थी?” वही दिव्यांश ने AS की बात का कोई जवाब नहीं दिया और सीधा अन्य की वार्ड की तरफ बढ़ गया। काजल और AS दोनों एक-दूसरे की तरफ देख रहे थे कि आखिर वह कहां जा रहा है। वहीं दिव्यांश के कदम बुरी तरह से कांप रहे थे, उसकी आंखों में फिर से आंसू आने लगे थे।
वो किसी तरह कांपते पैरों से अनन्या के वार्ड की तरफ पहुंचा, सामने का नजारा देख दिव्यांश का दिल धक-सा रह गया। सामने अन्य बेजान सी बिस्तर पर लेटी हुई थी और उसका पूरा चेहरा पीला पड़ा हुआ था।
ऐसा लग रहा था जैसे मानो अनन्या जिंदा ही ना हो। दिव्यांश की सांस, अनन्या को देखकर गहरी होने लगी थी। तभी काजल, दिव्यांश के पास आकर उसके कंधे पर हाथ रखते हुए जैसे ही कुछ इशारा करने को हुई, पर उससे पहले ही दिव्यांश ने काजल को गले लगा लिया और रोते हुए बोला— “मैं उसके बिना जी नहीं पाऊंगा छोटी… मैं उसके बिना नहीं रह पाऊंगा।” उसकी आवाज बुरी तरह से कांप रही थी। उसका दिल तड़प रहा था और यह तड़प AS और काजल साफ महसूस कर पा रहे थे।
आज AS को दिव्यांश में कहीं ना कहीं खुद का ही रूप दिख रहा था। उन दोनों ने भी बहुत सी परेशानियों को झेला था और आज पहली बार उसे अपनी बहन के लिए अच्छा भी लग रहा था और बुरा भी, कि कहीं ना कहीं उसकी जिंदगी की एक अच्छी शुरुआत होने जा रही थी और दूसरी तरफ भगवान ने उसकी कोख छीन ली थी। काजल की भी आंखें भर आई थी। वो उसे दिलासा देते हुए इशारों में बात करना चाहती थी, पर दिव्यांश उसके इशारे नहीं समझता था।
अब AS आगे की तरफ आया और दिव्यांश के कंधे पर हाथ रखकर बोला— “वह बहुत जल्द ठीक हो जाएगी, बस थोड़ी देर की बात है, उसके होश आ जाए उसके बाद…”
अभी AS बोल ही रहा था कि डॉक्टर अनन्या के वार्ड में जाकर उसे चेक करने लगे। कुछ ही देर में अनन्या को चेक करने के बाद, डॉक्टर के चेहरे पर परेशानी छलकने लगी। अगले ही पल डॉक्टर बाहर की तरफ आए, वही AS और दिव्यांश जल्दी से डॉक्टर के पास आकर खड़े हो गए। दिव्यांश बड़े ही आज के साथ डॉक्टर को देख रहा था। तभी डॉक्टर ने कुछ ऐसा कहा जिसे सुनकर दिव्यांश का दिल तड़प उठा—
डॉक्टर, AS की तरफ देखकर बोले— “Sorry Mr. Shikhawat, she is in coma.”
जैसे ही डॉक्टर ने यह बात कही, दिव्यांश का दिल की धड़कन रुक सी गई…
To be continue…
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